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Tuesday, March 3, 2009

RTI Query Reveals AMU Grant Cut by Rs 837 Lakhs On Account of Irregularities

In response to RTI query (pl see below), Shri Surender Singh, Deputy Secretary and PIO, University Grants Commission (UGC) has replied that during 2008-2009 an amount of Rs 838.72 Lakhs have been withheld from the salary head on account of irregularities done by Aligarh Muslim University (AMU) i.e. “higher pay scale to employees”; “irregular ACP scheme” and “unauthorized allowances” etc.
RTI activists are writing to the UGC to immediately restore the cut amount as it is nothing but "collective punishment". Instead of identifying the punishing the beneficiaries and officials responsible for these irregularities, strangely, the UGC has conveniently chosen to penalize the entire institution!

(For complete correspondence on the matter please visit Aligarh Muslim University/Finance on www.rtigroup.org )
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Dated: 7/Nov/2008

Dr Rajesh Anand
Central Public Information Officer (CPIO) (Under Right to Information Act 2005)
University Grants Commission
Bahadur Shah Zafar Marg
New Delhi-110002

Subject: Application for information under RTI

Please refer to maintenance grant received by the Aligarh Muslim University from the University Grants Commission (UGC), New Delhi.

Under the Right to Information Act, 2005, I would like to be informed:
1.The maintenance grants from the UGC received by the Aligarh Muslim University (AMU) from 1st January 2006 till date together with yearly break-up.

2.Details of the sanction letters such as dispatch no. and date from the UGC for each of the said grants.

3.Details of maintenance grant utilized by the AMU on yearly basis till date.

4.In case the maintenance grant has been re-appropriated by AMU during the said period, the heads under which they have been re-appropriated and whether prior permission was sought from the UGC or the matter has been reported after re-appropriation and the rule position in this regard.

5.In case the maintenance grant was re-appropriated by AMU during the said period, the name and designation of the officer/functionary from the UGC who granted the permission for re-appropriation and facts and reasons for the same.

6.Details of utilization certificate of the maintenance grant for the said period received from AMU.

7.The cuts/reduction in the maintenance grant of AMU by the UGC during the aforesaid period together with the amount reduced/cut and facts and reasons for the same together with the date and dispatch no. of the correspondence of the UGC in this regard.


8.Date and dispatch no. of the correspondence from the AMU justifying its position in order to persuade the UGC from NOT reducing/cutting the maintenance grant.

Accompanying fee of Rs. 10/- is attached through the postal orders (in the name of Accounts Officer, UGC) bearing nos 48C-899443 & 48C-899444, both dated 7/11/2008.

(Dr Mohammed Naved Khan)
Sr Lecturer and Ex-Member AMU Court
Department of Business Administration
Aligarh Muslim University, Aligarh-202002
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एएमयू के सेलरी हेड में 838 लाख की कटौती
(Dainik Jagran: Aligarh Edition) www.jagran.com; Dated: 29th January 2009, page 14)

वरिष्ठ संवाददाता, अलीगढ़ : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में चल रही गड़बडि़यों को लेकर तगड़ा झटका दिया है। यूजीसी ने एएमयू की ग्रांट में 838.72 लाख रुपये की भारी-भरकम कटौती कर दी है। यूजीसी ने यह रकम यह कहते हुए काटी है कि एएमयू ने अपने नान टीचिंग स्टाफ को उच्च वेतनमान देने, एसीपी स्कीम को लागू करने और अलाउंसेस देने में गड़बड़ी की है। यूजीसी और एएमयू प्रशासन के बीच हुए पत्राचार और ग्रांट कटौती से जुड़े दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत हासिल किए गए है। ये दैनिक जागरण के पास भी हैं। इसमें यूजीसी के डिप्टी सेक्रेटरी व जन सूचना अधिकारी ने ग्रांट कटौती के लिए एएमयू में बरती गई गड़बडि़यों को जिम्मेदार बताया है। लिखा है कि एएमयू के नान टीचिंग स्टाफ को गलत तरीके से बढ़ा हुआ वेतनमान दिया गया। कर्मचारियों के लिए एक निश्चित अवधि में प्रोन्नति देने को लेकर लागू हुई अस्योर्ड कैरियर प्रोग्रेसन (एसीपी) स्कीम में भी हेराफेरी की गई है। कुछ कर्मचारी यूजीसी के नियमों के खिलाफ भारी-भरकम अलाउंसेस लेते रहे हैं। नियमों की धज्जियां उड़ाने से खफा यूजीसी ने तल्ख रुख अख्तियार कर लिया और एएमयू को मिलने वाली मेन्टिनेंस ग्रांट में कटौती कर दी। यह राशि एएमयू के मेन्टिनेंस ग्रांट के सेलरी हेड से काटी गई है। दरअसल, यूजीसी ने वर्ष 2008-09 में मेन्टिनेंस ग्रांट के बतौर 236 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया है। इसमें से 167.74 करोड़ रुपये सेलरी हेड में खर्च होना अनुमानित है। यूजीसी ने सेलरी हेड का पांच फीसदी (यानी 838.72 लाख रुपये) काटा है। दरअसल, यूनिवर्सिटी ने अपने नान टीचिंग स्टाफ को वन-टाइम फाइनेंशियल अपग्रेडेशन स्कीम में जो लाभ दिया, यूजीसी की उसमें सहमति नहीं थी। कारण यह कि यूनिवर्सिटी ने ऐसे कर्मचारियों को भी इसका फायदा पहुंचाया था, जिनकी नियुक्ति यूजीसी या मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत नहीं हुई थी। बताते हैं कि ऐसे 417 कर्मचारी हैं। दूसरा मामला कर्मचारियों के प्रोन्नति को लेकर यूजीसी की एसीपी स्कीम को लेकर है। यूजीसी ने यह स्कीम 2000 में लागू की थी किंतु एएमयू ने आठ मार्च 2008 को एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में इसे हरी झंडी दिखाई। इसके तहत यूजीसी या मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मानकों के हिसाब से चयनित कर्मचारी को समय से प्रोन्नति हासिल नहीं हो सकी है तो उसे 12 वर्ष में पहला और अगले 12 साल बाद दूसरा समयमान वेतनमान दिया जाए। एएमयू ने अपने हिसाब से संशोधन कर लिया और पहला समयमान वेतनमान आठ साल और दूसरा 12 साल में देने का निर्णय किया। इसे लेकर अभी खींचतान मची हुई है और यूनिवर्सिटी के इस फैसले का लाभ किसी कर्मचारी को हासिल नहीं हो सका है। ग्रांट में कटौती का इतना असर जरूर हुआ है कि एएमयू के जिन करीब ढाई सौ ड्राइवरों को प्रोन्नति दी गई थी, उनके दिसंबर के वेतन से कटौती जरूर चालू हो गई है। एएमयू में डिपार्टमेंट आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के सीनियर लेक्चरर डॉ. मोहम्मद नवेद खान ने यूनिवर्सिटी की ग्रांट में कटौती के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। डॉ. खान का कहना है कि सेलरी हेड से कटौती होने का सीधा असर यूनिवर्सिटी की योजनाओं पर पड़ेगा। यहां जो नान टीचिंग स्टाफ रखना है, पैसे के अभाव में उसकी भर्ती नहीं हो सकेगी। वहीं, एएमयू पीआरओ डॉ. राहत अबरार का कहना है कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में यूनिवर्सिटी की ग्रांट पहले के मुकाबले बढ़ी है।

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